देश में 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक, जहां-जहां महादेव प्रकट हुए वहां स्थापित हुए ज्योर्तिलिंग

भगवान शिव को मोक्ष के देवता के रूप में जाना जाता है। पूरे देश में भगवान शिव को पूजने वाले भक्तों की सं खया भी सबसे ज्यादा है। देश में सबसे ज्यादा शिव मंदिर भी है लेकिन इन सभी शिव मंदिरों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक है।

श्री शिव महापुराण सप्ताह कथा के सातवें दिन मंगलवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत गोपालराम महाराज ने कहा कि शिव महापुराण के अनुसार जहा-जहां महादेव स्वयं प्रगट हुए उन स्थलों पर महादेव शिव के शिवलिंग की ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा की जाती है। संत ने बताया कि महादेव शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिसमें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग इस पृथ्वी का सबसे पहला भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिवजी का यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में स्थित है।

चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर दिए गए श्राप से मुक्ति पाई थी। महाराज ने बताया कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है जिसे वाराणसी भी कहते है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्रप्रदेश में श्रीशैल नामक पर्वत पर है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर शिव का यह ज्योतिर्लिंग है, उस स्थान पर पवित्र नर्मदा नदी बहती है और उस पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ओम का आकार भी बन जाता है। केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह शिवलिंग उत्तराखंड में स्थित है। यह तीर्थ स्थान भगवान शिव को बेहद प्रिय है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है जो त्रयक्म्बेश्व्र नासिक में स्थित है। कथा के दौरान बडी संखया में महिला तथा पुरूष श्रोतागण उपस्थित थे।

श्रवण के परम पवित्र पुरुषोत्तम मास के अवसर पर संत श्री मंगादास जी महाराज की तपोभूमि श्री रामदेव मंदिर गायत्री नगर अजमेर रोड ब्यावर में बुधवार से सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। कथा से पहले संत गोपालराम महाराज, बाल व्यास रविराम महाराज, बाल संत सुनीलराम महाराज और भक्तों के सानिध्य में श्रीमद् भागवत महापुराण पोती के साथ कलश यात्रा दोपहर डेढ़ बजे से महागणपति मंदिर छावनी से निकाली जाएगी।

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