हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में निकाले जाने वाले मोहर्रम के जुलुस की तैयारियों ने भी जोर पकड़ लिया है। मोहर्रम माह की नौ एवं दस तारीख यानी आगामी 28 एवं 29 जुलाई को मातमी माहौल में मोहर्रम के जुलुस का आयोजन होगा। मोहर्रम के अवसर पर परंपरागत रूप से निकलने वाले जुलुस में मु खय रूप से सात ताजिए शामिल होते हैं। जुलुस में इमामबाडा शहर ताजिया के अलावा छीपान समाज, छावनी का ताजिया, मेवाफरोश, बुंदुशाह का ताजिया, कुरैशियान समाज तथा कलम कागजी समाज का ताजिया मु खय है। मोहर्रम के जुलुस के दौरान युवा ढोल एवं ताशों पर मातमी धुन बजाते हुए चलते है, वहीं अखाड़े के युवाओ द्वारा हैरतंगेज कारनामे भी दिखाएं जाते है।
मोहर्रम इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष पप्पू पहलवान ने बताया कि मोहर्रम के जुलुस के तहत 26 जुलाई अगस्त को मेहंदी का जुलुस निकाला जाएगा। जबकि मोहर्रम माह की 9 तारीख यानी 29 जुलाई की रात ताजिए अपने-अपने मुकाम से चलकर निर्धारित मार्ग से होते हुए फतहपुरिया चौपड़ पहुंचेगे। जहां सभी सातों मोहर्रम का संगम होगा। उसके बाद पुनरू अपने मुकाम पर पहुंच जाऐगे। वहीं 10 तारीख यानी 29 जुलाई को मोहर्रम का जुलुस उसी मार्ग से होता हुआ फतेहपुरिया चौपड़ पर मिलाप के बाद पंडित मार्केट चौराहा, लोहरान चौपड़, पाली बाजार होते हुए शाम को ताजियो को नून्द्री मेन्द्रातान स्थित कर्बला मैदान पहुंचेगा। जहां सभी ताजियों को सैराब किया जाऐगा। ब्यावर में यह परंपरा विगत 180 वर्षो से अनवरत जारी है। जो आस्था एवं सौहार्द का प्रतीक भी है। मोहर्रम को लेकर ताजियो का निर्माण भी तीव्र गति से किया जा रहा है।