Beawar Update : शहर के गायत्री नगर रामदेव मंदिर परिसर में आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा ने मंगलवार को विश्राम लिया। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण.सुदामा का प्रसंग सुनाया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की ओर से जयकारे लगाते हुए पुष्प वर्षा भी की गई। वाचक संत गोपालराम महाराज ने व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है।द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए।
यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है, जो भगवान दौड़े दौड़े चले आए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। कहाकि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता।
कथावाचक संत गोपालरात महाराज ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल शब्दों में वर्णन किया कि उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से ही व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। वहीं अन्य ग्रन्थ मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते हैं और श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को मरना सिखाती है, जीवन में जीने के बाद कैसी मृत्यु हो, श्री शुकदेव भगवान ने महाराज परीक्षित को भागवत का उपदेश देकर उन्हें तक्षक सर्प के काटने से पहले ही भागवत ज्ञान के द्वारा मुक्त कर दिए थे।
उन्होंने नवयुग सवारने की कथा, श्रीमद भागवत का सार सहित अन्य कथाओं के बारे में विस्तार से श्रद्धालुओं को बताया। इस दौरान सजीव झांकियां भी सजाई गई। श्रद्धालुओं को धार्मिक भजनों पर नृत्य करते व जयकारे लगाते हुए भी देखा गया। जिससे माहौल धर्ममय हो गया।