शहर के फतेहपुरिया चैपड़ स्थित श्री जानकी वल्लभ मंदिर में सात दिवसीय संगीतयम श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर परिसर में मंदिर पुजारी स्वर्गीय श्री रामचंद्र दिवाकर के सुपौत्र की ओर से आयोजित श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन पंडित पुरुषोत्तम मिश्रा ने व्यास पीठ से भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है।
यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए पंडित पुरूषोत्तम मिश्रा ने कहा जब-तब जीव में अभिमान आता है तो भगवान उनसे दूर हो जाता है, लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है और उसे दर्शन देते है।
भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नहीं तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। पंडित पुरुषोत्तम मिश्रा ने बताया कि धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। कथा के दौरान भजन मंडली ने सुंदर भजन प्रस्तुत किए।